Tuesday, December 2, 2008

"बड़े" मरे तब बड़े जागे

---- चुटकी----
"बड़े" लोग मरे
तब "बड़े" जागे,
नजर भी ना आए
इस्तीफा दे भागे।
इस से पहले
जो भी थे मरे
वे सब के सब थे
बहुत अभागे।
अभी तो देखना
और
क्या क्या होता है आगे।

5 comments:

seema gupta said...

इस से पहले
जो भी थे मरे
वे सब के सब थे
बहुत अभागे।
" painful"

सीमा सचदेव said...

बड़े लोग जागे........? कहाँ जागे ,बस थोड़ी सी आँखें खोली और देखना फ़िर सो जाएंगे कुम्भकरण की नींद

sandhyagupta said...

Satik.

sarita argarey said...

वत्स नारद ,

तीन लोक की सैर भले की हो ,पर अब तक कुछ ना जान सके । भारत में लोगों की देखभाल का ठेका भगवान को देकर लोग सोते हैं लंबी तान । श्री नारायण हरि ।

राज भाटिय़ा said...

नारयण नारयण... बाबा जागे कहां! वो तो आगे का सोच रहै है, केसे जमे पाव , अब जनता जाग उठी है केसे इसे फ़िर से दे झापकी.