Saturday, January 31, 2009

राजनीति में ऐश

---- चुटकी----

अपनी अदाओं को
कितना
करवाएगी कैश,
राजनीति में ऐश

गोविन्द गोयल, श्रीगंगानगर

Friday, January 30, 2009

छोटी बात पर बड़ा लफड़ा

--- चुटकी----

विधायक को
पांच लाख की
रिश्वत लेते पकड़ा,
उफ़! छोटी सी
बात और
इतना बड़ा लफड़ा।
----
लोकायुक्त पुलिस ने कर्नाटक में भाजपा विधायक वाई सम्पंगी को पाँच लाख रूपये की रिश्वत लेते हुए बेंगलुरु स्थित एम एल ऐ क्वार्टर से पकड़ा गया। प्रदेश में विधायक के रिश्वत लेने का यह पहला मामला है। [ पकड़े जाने का पहला होगा।]

Thursday, January 29, 2009

सम्मान मिलने से पहले सम्मान


श्रीगंगानगर के प्रो० एस एस महेश्वरी को पदमश्री दिए जाने की घोषणा के साथ ही यहाँ उनके सम्मान की होड़ लग गई है। श्री महेश्वरी को सम्मानित करने का उत्साह इतना अधिक है कि राजकीय शोक भी ध्यान नही रहता। भारतीय स्टेट बैंक की ओर से बुधवार को श्री महेश्वरी के सम्मान में बैंक परिसर में समारोह आयोजित किया गया। बैंक के मुख्य प्रबंधक [निरीक्षण] महेश शर्मा,ब्रांच मैनेजर शिवरतन सोमानी, चीफ मैनेजर बी एल रावत आदि ने श्री महेश्वरी को सम्मान प्रतीक भेंट किया। श्री महेश्वरी बैंक के खाताधारक हैं। श्री महेश्वरी को हालाँकि अभी पदमश्री मिला नहीं है मगर मीडिया ने उनके नाम के आगे पदमश्री लिखना शुरू कर दिया है।

चुनावी लालीपॉप है भाई

--- चुटकी----

डीजल,पेट्रोल,गैस
के दामों में कमी
तो चुनावी लालीपॉप
है मेरे भाई,
चुनाव के बाद
वसूल कर लेंगें
एक एक पाई।

Monday, January 26, 2009

पदमश्री सम्मान की गरिमा

"सुनहू भरत भावी प्रबल बिलख कहें मुनिराज,लाभ -हानि,जीवन -मरण ,यश -अपयश विधि हाथ" रामचरितमानस की ये पंक्तियाँ श्री एस एस महेश्वरी को समर्पित, जिनको पदमश्री सम्मान देने की घोषणा की गई है।यह मेरे लिए गर्व,सम्मान,गौरव... की बात है। क्योंकिं श्री महेश्वरी मेरे शहर के हैं। लेकिन दूसरी तरफ़ इस बात का अफ़सोस भी है कि क्या पदमश्री की गरिमा इतनी गिर गई की यह किसी को भी दिया जा सकता है। श्री महेश्वरी जी को यह सम्मान सामाजिक कार्यों के लिए दिया जाएगा। उनके सामाजिक कार्य क्या हैं ये सम्मान की घोषणा करने वाले नहीं जानते। अगर जानते तो श्री महेश्वरी को यह सम्मान देने की घोषणा हो ही नहीं सकती थी।

उन्होंने कुछ समाजसेवा भावी व्यक्तियों के साथ १९८८ में एक संस्था "विद्यार्थी शिक्षा सहयोग समिति"का गठन किया। समिति ने आर्थिक रूप से कमजोर उन बच्चों को शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता दी जो बहुत होशियार थे। यह सहायता जन सहयोग से जुटाई गई।इसमे श्री महेश्वरी जी का व्यक्तिगत योगदान कितना था? वैसे श्री महेश्वरी जी एक कॉलेज में लेक्चरार है और घर में पैसे लेकर कोचिंग देते हैं। श्रीगंगानगर में ऐसे कितने ही आदमी हैं जिन्होंने समाज में महेश्वरी जी से अधिक काम किया है। स्वामी ब्रह्मदेव जी को तो इस हिसाब से भारत रत्न मिलना तय ही है। उन्होंने ३० साल पहले श्रीगंगानगर में नेत्रहीन,गूंगे-बहरे बच्चों के लिए काम करना शुरू किया। आज तक उनके संरक्षण में कई सौ लड़के लड़कियां अपने पैरों पर खड़े होकर अपना घर बसा चुके हैं। जिनसे समाज तो क्या उनके घर वालों तक को कोई उम्मीद नहीं थी आज वे सब की आँख की तारे हैं। सम्मान की घोषणा करने वाले यहाँ आकर देखते तो उनकी आँखें खुली की खुली रह जाती। आज स्वामी जी के संरक्षण में नेत्रहीन,गूंगे-बहरे बच्चों की शिक्षा के लिए क्या किया जा रहा है वह शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। पता नहीं ऐसे लोग क्यूँ सम्मान देने वालों को नजर नहीं आते। आज नगर के अधिकांश लोगों को श्री महेश्वरी के चयन पर अचम्भा हो रहा है। अगर श्री महेश्वरी को इस सम्मान का हक़दार मन जा रहा है तो फ़िर ऐसे व्यक्तियों की तो कोई कमी नही है।

यहाँ बात श्री महेश्वरी जी के विरोध की नहीं पदमश्री की गरिमा की है। सम्मान उसकी गरिमा के अनुकूल तो होना ही चाहिए ताकि दोनों की प्रतिष्ठा में और बढोतरी हो, लेकिन यहाँ गड़बड़ हो गई। सम्मान की प्रतिष्ठा कम हो गई, जिसको दिया जाने वाला है उसकी बढ़ गई। मैं जानता हूँ कि जो कुछ यहाँ लिखा जा रहा है वह अधिकांश के मन की बात है किंतु सामने कोई नहीं आना चाहता। मेरी तो चाहना है कि अधिक से अधिक इस बात का विरोध हो और सरकार इस बात की जाँच कराये कि यह सब कैसे हुआ। मेरी बात ग़लत हो तो मैं सजा के लिए तैयार हूँ। यह बात उन लोगों तक पहुंचे जो यह तय करतें हैं कि पदमश्री किसको मिलेगा।

Sunday, January 25, 2009

देश प्रेम का मौसम आ गया

मेरे दिल में शहीद भगत सिंह की आत्मा ने प्रवेश कर लिया है। वह जय हिंद का नारा बुलंद कर रही है। जी करता है पाक में जाकर उसकी मुंडी मरोड़ कर किस्सा ख़तम कर दूँ। कमशब्दों में कहूँ तो मेरे अन्दर फिल्मी स्टाइल वाला देशप्रेम का जज्बा पैदा हो गया है। ना, ना, ना , ग़लत मत सोचो, मैं बिल्कुल ठीक हूँ। मुझे कोई दौरा नहीं पड़ा और ना ही मैंने कोई देशप्रेम से ओत प्रोत फ़िल्म देखी है। यह भाव तो आजकल अख़बार पढ़ कर आ गए। जिनमे इन दिनों इस प्रकार के लेख छप रहे हैं कि मेरे जैसे एक पाव वजन वाले इन्सान केमुहं से इन्कलाब जिंदाबाद के नारे बुलंद हो रहे हैं। चिंता की कोई बात नहीं,ये भाव स्थाई नहीं है। ये तो कल तक हवा हो जायेंगें। अगर दो चार दिन देशप्रेम के लेख से ऐसे भाव स्थाई रहते तो देश की ऐसी हालत तो नहीं होती। पहले गोरे थे, अब काले हैं,जन जन के हाल तो वही पुराने वाले हैं। देश में पहले चार मौसम हुआ करते थे,फिल्मो ने पांचवा मौसम प्यार का कर दिया और अब छठा मौसम देशप्रेम का हो जाता है २६ जनवरी और १५ अगस्त के आस पास। इस बीच पाकिस्तान हिम्मत कर दे तो ऐसा मौसम तब भी बन जाता है। इसको मजाक मत समझो यह गंभीर बात है। किसी में एक घटना से देश प्रेम पैदा हो जाए ऐसे बच्चे पैदा करने वाली कोख है क्या? देश प्रेम को मजाक के साथ साथ बाज़ार बना दिया गया है। बच्चों में देश के प्रति प्रेम,समर्पण तभी आएगा जब हम उनको हर रोज इस बारे में बतायेंगें। किसी ने कहा भी है--करत करत अभ्यास तो जड़ मति होत सूजान,रस्सी आवत जात तो सिल पर पड़त निशान। स्कूलों में इस प्रकार की व्यवस्था हो कि बच्चा बच्चा अपने देश और उसके प्रति उसके क्या कर्तव्य हैं,उसके बारे में जाने। उसके टीचर,सरकारी कर्मचारी,नेता,मंत्री और समारोहों में बोलने वाले खास लोग ऐसा आचरण करें जिस से बच्चा बच्चा उनसे प्रेरणा ले सके। आज हम केवल दो चार दिन में लेख लिख कर,देशप्रेम वाले फिल्मी गाने सुनकर,सुनाकर ये सोच लें कि हमारे देश में देशप्रेम का समुद्र बह रहा है तो ये हमारी गलतफहमी है। भला हो पाकिस्तान का जो इसको तोड़ता रहता है। थोड़ा लिखा घणा समझना।

Saturday, January 24, 2009

नेशनल इकोनोमिक कांफ्रेंस

श्रीगंगानगर के एमडी कॉलेज में नेशनल इकोनोमिक कांफ्रेंस का आयोजन हुआ। इस कांफ्रेंस में पंजाब,हरियाणा,दिल्ली,नॉएडा,बिहार,राजस्थान के ११८ डेलीगेट्स ने भाग लिया। इस आयोजन में कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ आर एस पूनिया,डॉ ओ पी गुप्ता,डॉ के बी शर्मा,श्रीमती पार्वती सोनी, और जयंत मल्होत्रा का बहुत अधिक योगदान रहा। भारत पाक सीमा पर बसे श्रीगंगानगर में इस प्रकार के आयोजन की शुरुआत एक बहुत अच्छा संकेत है।




Wednesday, January 21, 2009

बस यहीं तक है कहानी

----- चुटकी-----

एक थे
पीएम इन वेटिंग
श्री आडवानी,
...........
...........
.........
इस से आगे
नही बढ़ रही
उनकी कहानी।

Tuesday, January 20, 2009

आडवानी हो गए तंग


---- चुटकी-----
आडवानी जी
हो गए
थोड़ा और तंग,
क्योंकि
संघ खड़ा है
मोदी के संग।
---गोविन्द गोयल,श्रीगंगानगर

Monday, January 19, 2009

करप्शन करप्शन हाय करप्शन

देश के पूर्व वाइस प्रेजिडेंट भैरों सिंह शेखावत ने आज श्रीगंगानगर में प्रेस से बात करते हुए करप्शन,करप्शन हाय करप्शन की रट लगाये रखी। उन्होंने कहा--करप्शन से गरीबी,बेकारी ओर अराजकता बढेगी। करप्शन सबसे सबसे बड़ा विषय है हिन्दुस्तान में। पत्रकारों करप्शन करने वालों को बख्शो मत,जनता आन्दोलन करे, जेल जाए, गिरफ्तारी दे। राजस्थान की सरकार केस दर्ज करे। पाँच साल में करप्शन के रिकॉर्ड टूटे। [ वसुंधरा राजे के राज में] परन्तु राजवी [ श्री शेखावत के दामाद और वसुंधरा सरकार में मंत्री] पर आरोप नहीं है। वे ऐसे हैं भी नही। मेरे राज में करप्शन नहीं था। मुझ पर भी कोई आरोप नहीं है। राजनीति में आने से पहले पुलिस में था और खेती करता था। राजनीति की बात की लेकिन अधिक नहीं। बाद में "नारदमुनि" ने उनके दामाद नरपत सिंह राजवी से बात की। श्री राजवी ने उनकी बात का समर्थन किया। श्री शेखावत, श्री राजवी श्रीगंगानगर के निकट एक गाँव में पूर्व मंत्री गुरजंट सिंह बराड़ के यहाँ एक समारोह में शामिल होने के लिए आए थे। लोगो ने उनको खूब मालाएं पहनाई।

कमजोर निकले कलेक्टर ठाकुर


श्रीगंगानगर--यहाँ आते ही जिस प्रकार से राजीव सिंह ठाकुर ने चुस्ती फुर्ती दिखाई उस से ये आभास हुआ कि वे दूर दृष्टी पक्का इरादा और कड़े अनुशासन वाले जिला कलेक्टर साबित होंगें। मगर अब इस में संदेह होने लगा है। संदेह की वजह है उन डेरा प्रेमियों के खिलाफ मुकदमा जिन्होंने उनके घर के सामने धरना दिया था। डेरा प्रेमियों पर रास्ता रोकने और ध्वनी प्रदूषण फैलाने का आरोप है। कलेक्टर जी,आपकी नजर में वे दोषी हैं इस में कोई शक नहीं है। आप ने कोतवाल कि ओर से मुकदमा भी करवा दिया लेकिन घर ओर ऑफिस से बहार निकल कर जरा जिले का राउंड लगाओ तब आपको पता लगेगा कि किस किस ने कहाँ कहाँ रास्ता रोक कर आवागमन बाधित कर रखा है। सड़क के किनारे, नहरों की पटरी पर,कलेक्ट्रेट की दिवार के आसपास जहाँ तक निगाह जायेगी आपको कब्जे ही दिखेंगें। डेरा प्रेमियों ने तो अपना विरोध जताने के लिए कुछ घंटे के लिए ऐसा किया मगर हजारों लोग तो सरकारी जमीन पर स्थाई कब्जा किए बैठे हैं।
चलो इनकी तरफ़ नजर मत डालो, तो ये पक्का इरादा कर लेने कि आइन्दा जो भी सड़क आम पर रास्ता रोक कर धरना प्रदर्शन करेगा उसके खिलाफ ऐसा ही मुकदमा किया जाएगा वह भी प्रशासन की ओर से।क्योंकि आम आदमी में इतनी ताकत नहीं कि वह ऐसा कर सके। एक बात और आप अभी आए हो, यहाँ तो हर सप्ताह कई कई बार विभिन्न संगठन इसी प्रकार से धरना प्रदर्शन करेंगें। अगर ऐसे ही मुकदमे दर्ज होते रहे तो जाँच अधिकारी कम रह जायेंगें। शनिवार को डेरा प्रेमी आपके घर तक आ गए अगर आप तुरंत अपनी "प्रजा" से दुखदर्द पूछकर बाहर आकर उनका ज्ञापन ले लेते तो आपकी शान नहीं घटने वाली थी। तब ५ मिनट में सब के सब अपने अपने घर चले जाते, मगर आप बाहर क्यूँ आते आप तो कलेक्टर हो!
कलेक्टर साहेब आप जब तक यहाँ रहें ऐसा ही करना। मन की बात कहूँ, कलक्टरी करना अलग बात है और कलक्टरी करते हुए लोगों का दिल जीतना एक अलग बात। केवल कलक्टरी करने वालों को लोग भूल जाते हैं। इस इलाके के दिल का मिजाज बहुत ही अलग प्रकार का है। जी में आया तो आप पर सब कुछ निछावर कर देंगें और जच्च गई तो पानी भी नहीं पिलायेंगें। निर्णय आप को करना है कि कैसी कलक्टरी करनी है।

Saturday, January 17, 2009

कलेक्टर निवास सामने डेरा प्रेमियों का डेरा

श्रीगंगानगर में अवकाश के दिन किसी अधिकारी ने सोचा भी नहीं होगा कि ठण्ड में उनको एक नई परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। प्रशासन तो सच्चा सौदा के मुखी संत गुरमीत राम रहीम सिंह को जिले से सकुशल वापिस भेज चैन की बंसी बजा रहा था। अचानक दिन में डेरा प्रेमियों ने जिला कलेक्टर राजीव सिंह ठाकुर के निवास के सामने डेरा जमा लिया। डेरा मुखी १५ जनवरी को अपने गाँव आए थे। कल रात को उनको वापिस भेज दिया गया। डेरा के प्रवक्ता ने कहा कि उनको पाँच मिनट में ना जाने पर पर्चा दर्ज कर लेने की धमकी दी गई। जबकि पहले उनको रहने की अनुमति देने का भरोसा दिलाया गया था। जिला कलेक्टर ने इस बात से इंकार किया है। बाद में डेरा प्रेमी सी एम के नाम एक ज्ञापन देकर लौट गए। श्रीगंगानगर में १५ मई २००७ को डेरा प्रेमियों और सिख समाज के लोगों के बीच हिंसक टकराव हो गया था। उसके बाद से प्रशासन से डेरा प्रेमियों और उनके गुरु पर अंकुश लगा रखा है। सिख समाज के कुछ लोग प्रशासन को आँख दिखाकर यह सब करने को मजबूर करते रहते है। हाल ये है कि डेरा प्रेमियों को अपने घरों में भी सत्संग करने के लिए सौ बार सोचना पड़ता है। प्रशासन बेवजह चन्द सिख व्यक्तियों को सिख समाज का लीडर मान रहा है। जबकि सालों से डेरा मुखी का सत्संग श्रीगंगानगर जिले में होता आ रहा है। आज पहली बार डेरा प्रेमियों ने प्रशासन पर अपना उसी तरीके से बवाब बनाया है जैसे दूसरा पक्ष करता है।

घर बैठे गंगा आई

---- चुटकी----

खुश है
मुन्ना भाई,
घर बैठे
गंगा आई।

Friday, January 16, 2009

कब भरेगा पाप का घड़ा


---- चुटकी----

पाक
जिद पर अड़ा,
भारत
नरम पड़ा,
आवाम
बेबस खड़ा,
कब भरेगा
पाप का घड़ा।

Thursday, January 15, 2009

श्री कमल नागपाल को श्रद्धांजली

लोकल अखबार की भी अपनी आन बान शान होती है यह श्री कमल नागपाल से पहले शायद ही कोई सोच पाया। हो सकता है ये लाइन कई लोगों के हजम ही ना हो कि लोकल अखबार जन जन में लोकप्रिय बनाने की शुरुआत उन्होंने ही की। ना जाने कितने ही पत्रकार उन्होंने अपने सानिध्य में निखारे। सम्भव है बड़े बड़े अखबारों में नौकरी करने वाले ये पत्रकार किसी के सामने इस बात को ना स्वीकारें लेकिन मन ही मन में वे जरुर कमल जी को थैंक्स कहतें ही होंगें। बेशक उन्होंने मुझे हाथ पकड़ कर पत्रकारिता के सबक नहीं सिखाये मगर मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं कि मैंने उनके संस्थान में काम करते करते जीतनी मेरे में बुद्धि और शक्ति थी लेखन में सुधार जरुर किया। कम से कम शब्दों में शानदार,जानदार पठनीय ख़बर लिखने में वे मास्टर थे। श्री नागपाल कम्प्लीट पत्रकार ही नहीं एक जिंदादिल,हरफन मौला इंसान थे। इस पोस्ट के साथ जो विडियो है वह ३१ दिसम्बर २००६ का है। तब वे ऐसी बीमारी से जिंदगी की आखिरी लडाई लड़ रहे थे जिसका कोई नाम तक लेना नहीं चाहता। श्री कमल जी लड़े तो बहुत परन्तु जीत उस मौत की ही हुई जो जगत में एक मात्र सत्य है। एक साल पहले १५ जनवरी २००८ को उनका निधन हो गया। यह पोस्ट उनको विनम्र नमन करने का प्रयास है।

टीवी पत्रकारों ने किया विरोध



श्रीगंगानगर में आज टीवी न्यूज़ चैनल्स से जुड़े पत्रकारों ने प्रस्तावित"काले कानून" के विरोध में काली पट्टियां बांधी। काली पट्टी बांधे पत्रकार जिला कलेक्टर ऑफिस पहुंचे। वहां उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नाम लिखा एक ज्ञापन जिला कलेक्टर राजीव सिंह ठाकुर को दिया। ज्ञापन में पत्रकारों ने प्रधानमंत्री से कोई ऐसा कानून ना लागु करने का आग्रह किया है जिस से न्यूज़ चैनल की अभिवयक्ति की आजादी ख़तम हो जाए। ज्ञापन जी न्यूज़ के गोविन्द गोयल,एनडीटीवी के राजेश अग्रवाल,ईटीवी के राकेश मितवा,डीडी के आत्मा राम,एमएच १ की मिस स्वाति अग्रवाल तथा पंजाब के टाइम टीवी के पत्रकार सुनील सिडाना ने कलेक्टर को दिया। जिला कलेक्टर ने ज्ञापन पीएमओ भिजवाने के आश्वाशन दिया। पत्रकारों ने आज दिन भर काली पट्टी लगाकर अपना काम काज किया।

बाकी आल बकवास

---- चुटकी----

अम्बानी,टाटा,मित्तल को
नजर आई
नरेंद्र मोदी में आस,
मतलब
बाकी आल बकवास।

Wednesday, January 14, 2009

की मास्टर सत्यम का

Raju Raju sat on the wall

Raju Raju had a great fall

Balance sheet died

Shareholders cried

Raju Raju made a fraud

----

Raju Raju Yes baba

Cheating us No baba

Telling Lies No baba

Open the balance sheet

HA HA हा








यह सब कुछ मेरे दोस्त नरेंद्र शर्मा ने मुझे मेल किया। जो मैंने यहाँ पोस्ट कर दिया।

ख़ुद पर तो बस चलता नहीं




हमारी कहो या आपकी, यह सरकार भी खूब है। इसका अपने "गुरूजी" जैसे लोगों पर तो बस चलता नहीं। इस कमजोरी को छिपाने के लिए वह उस पर अंकुश लगा रही है जो "गुरूजी" जैसों को पाठ पढ़ा सकती है। भाई जब आप कुछ ग़लत ही नहीं कर रहे तो फ़िर किस बात का डर है। यह भी सही है कि घर से लेकर देश तक को बेहतर तरीके से चलाने,उसको खुशहाल रखनेके लिए कुछ नियम कायदे बनाने और अपनाने पड़ते हैं। परन्तु ऐसा नही हो कि इसकी आड़ में मुखिया ऐसे नियम कायदे लागु कर दे जिस से घर समाज देश में किसी मेंबर को अपना रोजमर्रा का कामकाज करना ही मुश्किल हो जाए,या वह वो सब ना कर सके जो उसका धर्म या कर्तव्य है। ऐसा ही अब सरकार करने में लगी है। ऐसी कोशिश पहले भी होती रहीं हैं। ग़लत का विरोध होना ही चाहिए चाहे वह कोई भी कर रहा हो। आज मीडिया सरकार के कदमों का विरोध कर रहा है। क्योंकि उसके साथ ग़लत ग़लत हो रहा है। अगर सरकार का अंकुश उसके ऊपर रहा तो मीडिया वह नहीं कर सकेगा जो समाज और देश हित में उसको करना होता है।

Tuesday, January 13, 2009

अपनी अपनी ढफली

---- चुटकी-----

पाक में सबकी
अपनी अपनी ढफली
अपना अपना राग,
कोई सुना रहा बन्नी
कोई गा रहा फाग।

Sunday, January 11, 2009

क्या मंदा है श्रीमान

---- चुटकी-----

मंदा मंदा मंदा
क्या मंदा है श्रीमान,
जिसके बिना
ना काम चले
वह महंगा सब सामान,
रोटी महँगी
कपड़ा महंगा
महंगा है मकान,
मंदा मंदा मंदा
क्या मंदा है श्रीमान।

Saturday, January 10, 2009

एस पी,डीएसपी आपका जवाब नहीं

श्रीगंगानगर के मुख्य बाज़ार में एक दुकानदार को ५-६ जने पीट गए। दुकानदार के चेहरे पर चोट लगी। वह अपने भाई- बंधू के साथ थाना गया। वहां ३ घंटे के बाद मुकदमा दर्ज हुआ। इसी दौरान वह भी आ गया जिसका नाम रिपोर्ट में था। मुक़दमा आईपीसी की धारा ३२३,३४१,४५२,३८२ में दर्ज हुआ। मगर पुलिस ने उस आरोपी से बजाये कुछ पूछने के उसको जाने दिया। घटना को २४ घंटे से भी अधिक का समय हो गया। तब से लेकर अब तक श्रीगंगानगर के पुलिस अधीक्षक श्री आलोक विशिस्ट, सी ओ सिटी भोला राम जी के सेल फ़ोन पर लगातार बात करने की कोशिश की मगर सफलता नहीं मिली। दोनों अधिकारियों के फ़ोन नम्बर पर एक से अधिक बार अलग अलग समय कॉल की गई लेकिन एसपी और सीओ ने फ़ोन नहीं उठाया। इस दौरान ऐसी कोई घटना भी नहीं हुई कि ये मान लिया जाए कि वे सब उसमे व्यस्त थे।
श्रीगंगानगर जिला पाकिस्तान से लगा हुआ है। इसके तीन तरफ़ छावनियां हैं। श्रीगंगानगर जिला हर लिहाज से बहुत ही संवेदनशील है। ऐसे स्थान पर नियुक्त एसपी अपना फ़ोन अटेंड ही ना करे तो इस से अधिक संवेदनहीनता और क्या हो सकती है। पता नहीं कौन क्या सूचना एसपी को देना चाहता हो! हो सकता है कोई बहुत अधिक पीड़ित आदमी एसपी की मदद चाहता हो!सम्भव है कोई संभावित बड़े अपराध के बारे कोई सुचना देना चाहता हो!मगर इन सब बातों से इन अधिकारियों को क्या? ये तो सरकार के नौकर हैं,जनता के प्रति इनकी जवाबदेही थी ही कब? अगर कोई अधिकारी,बड़ा नेता इस को पढ़े तो इस पर कुछ ना कुछ करे जरुर ताकि अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारी का अहसास तो हो सके।
एक ओर एस पी हैं जो अपना फोन अटेंड ही नहीं करते दूसरी ओर नए आए जिला कलेक्टर हैं जिन्होंने पहले दिन ही अपना फोन नम्बर इस वक्तव्य के साथ सार्वजनिक कर दिया कि कोई भी उनसे संपर्क कर अपनी बात कह सकता है।

Friday, January 9, 2009

सरकार बजा रही है खड़ताल

---- चुटकी----

यहाँ से वहां तक
हड़ताल ही हड़ताल,
देश की सरकार
बजा रही है खड़ताल,
कौन और क्यूँ
करवा रहा है
यह सब, कोई तो
करे इसकी पड़ताल।

अब भी बाकी है चाहत जी

---- चुटकी----

शिबू सोरेन से कुछ
सीख लो शेखावत जी,
क्यों करते हो
बुढापे में अदावत जी,
वाइस प्रेजिडेंट रह चुके
अफ़सोस, अब भी बाकी है
आप में कोई चाहत जी।
---
यह चुटकी भैरों सिंह शेखावत के चुनाव लड़ने के ऐलान पर है। श्री शेखावत देश के वाइस प्रेजिडेंट रह चुके,प्रेजिडेंट का चुनाव हार चुके, अब भी उनमे अगर कोई राजनीतिक पद पाने की लालसा है तो ये अफ़सोस करने लायक ही है। आख़िर किसी पद की कोई मर्यादा तो होती होगी। वे कहतें हैं भ्रस्टाचार के खिलाफ जनजागरण,गाँव गरीब का कल्याण और राजनीति का शुद्धिकरण उनका मिशन होगा। अच्छी बात है। लेकिन इस के लिए कोई पद होना क्या जरुरी है। महात्मा गाँधी के पास कोई पद नही था। इसके बावजूद वे लीडर थे। फ़िर आप तो ६० साल से राजनीति में हैं। यह सब पहले क्यों नही किया जो अब आप कह रहे हो। श्रीमान जी आप देख रहें हैं ना जनता ने शिबू सेरोन की क्या हालत की है। हर पल एक सा नहीं होता। आप ने तो सब कुछ भोग लिया अब क्या रह गया जो आपकी नजर से बच गया।

Thursday, January 8, 2009

सत्यम भी झूठा है

--- चुटकी----

ओह ! गोड
आपका तो हर
काम अनूठा है,
कलयुग में
तो सत्यम
भी बड़ा झूठा है।

Wednesday, January 7, 2009

इजराईल को गुरु बनाओ

--- चुटकी----

ना पाक को सबूत दो
ना किसी अमेरिका
को समझाओ,
आप तो बस
तुंरत इजराईल को
अपना गुरु बनाओ।

Tuesday, January 6, 2009

जैसे खो गया सब कुछ उनका


सूनी आँखें बता रही हैं
जैसे खो गया अपना कुछ उनका
मगर जब ढूंढा उन्होंने
तब एक निशान तक ना पाया
कुछ कहने को ओंठ खुले ही थे
उनका छोटा सा दिल भर आया
उनको गए हो गई एक मुद्दत
उनका एक ख़त भी ना आया
और कितना इंतजार करवाओगे
तुम्हारे इंतजार में
दिन रात का चैन गंवाया
चाँद सूरज आतें हैं
आकर चले जाते हैं
तुम्हारी यादों का झोका
आके जाने ना पाया।

Sunday, January 4, 2009

वाह ! ताज, आह ! ताज

दुनिया में ताजमहल अपने आप के एक ऐसा अजूबा है कि इंसान हर सम्भव उसको देखने,छूने,उसके आस पास फोटो खिंचवानेको लालायित रहता है। हमारे साथ भी कुछ ऐसा ही था। मथुरा गए तो आगरा जाने से अपने आप को नहीं रोक सके। २८ दिसम्बर संडे का दिन। दोपहर १२-३० बजे लाइन में लगे। लाइन इतनी लम्बी की क्या कहने। ३-३० बजे जब प्रवेश द्वार के निकट आए तो सुरक्षा कर्मियों ने बताया कि लेडिज जेंट्स अलग अलग लाइन में लगेंगें। अब हो भी क्या सकता था। जेंट्स अन्दर चले गए,लेडिज फ़िर से लाइन में। ये सुरक्षा कर्मी पहले ही बता देते तो बाहर से परिवार सहित आने वालों को परेशानी तो नहीं होती।प्रवेश द्वार पर इस से भी बुरा हाल। जेंट्स की तलाशी लेने वाले सुरक्षा कर्मी तो ठीक व्यवहार कर रहे थे। लेडिज सुरक्षा कर्मी तो चिडचिडी हो चुकी थी, पता नहीं घर की कोई परेशानी थी या भीड़ के कारन उनका ये हाल था। तलाशी के समय एक लेडिज के आई कार्ड उसने फेंक दिए। लेडिज ने काफी तकरार की। एक अन्य लड़की के पर्स में ताश थी वह उस सुरक्षा कर्मी ने कूडेदान में डाल दी। उसका व्यवहार सबके लिए परेशानी का सबब बना हुआ था मगर प्रदेश में बोले कौन लेकिन ताज के निकट जाते ही केवल वाह ! वाह ! के अलावा कुछ मुहं से निकल ही नही सकता था। उस ज़माने में जब निर्माण के लिए कोई आधुनिक मशीनरी नहीं होती थी तब ताज का निर्माण हुआ। यमुना नदी के किनारे ताज प्रेम,पति-पत्नी के अनूठे,अनमोल तथा गरिमामय संबंधों का साक्षी बनकर अटल,अविचल खड़ा हुआ है। साधुवाद उनको जिन्होंने इसकी कल्पना कर उसको अमली जामा पहनाया। साधुवाद उनको जो आज अपनी इस विरासत को बनाये रखने के लिए जी जान से लगे हुए हैं। साधुवाद उनको भी जो घंटों लाइन में लगे रहते हैं केवल इसलिए ताकि उनको भी ताज को जी भरकर देख लेने,उसको छू लेने का अवसर मिल सके। घंटों की प्रतीक्षा और सुरक्षा कर्मियों का कभी कभार होने वाला रुखा व्यवहार भी उनको ताज देखने से रोक नहीं पाता। वाह ! वाह! ताज।

गले बैठ गए आप के


मनमोहन,चिदंबरम
मुखर्जी, धमकाते
ललकारते
गले बैठ गए आप के,
कोई असर नही हुआ
अभी तक उस
बेशर्म पाक के।

Saturday, January 3, 2009

सबूत दे दे भारत थक गया


सबूत दे दे भारत थक गया
अमेरिका भी गया हार,
बातों से नहीं मानेगा ये
इसके जूते मारो चार।
ये है आदत से लाचार
प्यारे, आदत से लाचार।
-----
संसद में घुस गए आतंकी
मुंबई को दहलाते हैं,
नेता हमारे सारे कायर
बस खाली गाल बजाते हैं,
जनता है लाचार,प्यारे
जनता है लाचार।
-----
"बहादुर" सारे आतंकी
घर में आकर मारते हैं,
गाँधी हमारे पथ प्रदर्शक
हम दूर से ही ललकारतें हैं,
कैसी ये सरकार प्यारे
कैसी ये सरकार।
-----
कब तक होता जुल्म रहेगा
कोई तो समझाओ जी,
रोज रोज का मरना कैसा
एक बार मर जाओ जी,
जीना है बेकार प्यारे
जीना है बेकार।

Thursday, January 1, 2009

एक और कलेंडर बदल दिया

नया साल क्या है? एक कलेंडर का बदलना ! इस के अलावा और क्या बदला? कुछ भी तो नहीं। वही पल हर पल है। हम और आप भी वही हैं उसी सोच के साथ। हमारे तुम्हारे सम्बन्ध भी वैसे ही रहेंगें जैसे रहते आए हैं। हमने एक कलेंडर के अलावा कुछ भी बदलने की कोशिश ही नहीं की। बस कलेंडर बदला और अपनों को दी नए साल की शुभकामनायें, उसके बाद बस वैसा ही सब कुछ जैसा एक दिन पहले था। इस प्रकार से ना जाने कितने ही साल आते गए जाते गए,परन्तु हम वहीँ हैं। केवल एक कलेंडर या गिनती बदलने से कोई नया पन नही आता। नया तो हमारे दिल और दिमाग में होना चाहिए। उसके बाद तो हर पल नया ही नया है। हर नए दिन की सुबह नई है शाम नई है।बाग़ के किसी फूल को देखोगे तो वह भी हर पल नया ही लगेगा। सुबह को नए अंदाज में निहारोगे तो वह कल से नई नजर आएगी। मगर अफ़सोस तो इस बात का है कि हम केवल कलेंडर बदल कर ही नया साल मानतें हैं। जबकि हम चाहें तो हमारा हर पल,हर क्षण नया ही नया हो सकता है। बस थोडी सोच नई करनी होगी। हर पल का यह सोचकर आनंद लेना होगा कि यह फ़िर कभी नहीं आने वाला। क्योंकि हर पल नया जो होगा। फ़िर एक दिन के बदलने की बजाय हम लोग हर पल बदलने की मस्ती अपने अन्दर अहसास कर सकेंगें। तो फ़िर देरी किस बात की है,३६५ दिन इंतजार क्यों करें,हर पल नया साल अपने अन्दर महसूस करें और सभी को कराएँ। एक बार करके तो देखें वरना ३६५ दिनों बाद कलेंडर तो बदलना ही है। आप सभी मुस्कुराते रहो,यही कामना है।

मैं कौन हूँ,क्या हूँ?


आज से एक और
नया साल शुरू हो गया,
लोग अपनों से मिलकर
खुशियों का इजहार करेंगें,
नए साल की मंगल
भावना के साथ
एक दुसरे के गले मिलेंगें,
मगर मैं अकेला
वर्तमान के बंद
कमरे में बैठा
आने वाले सुनहरे
भविष्य को भुलाकर
अपने भूतकाल के
बारे में सोच रहा हूँ,
जिसने मुझे हर पल हर क्षण
एक नए अनुभव से
परिचित करवाया था,
मगर अफ़सोस वह
आज तक मुझसे
मेरा परिचय नही करवा सका,
यही वजह है कि
मैं हर नए साल को
अपने आप से
दूर होता चला गया
आज स्थिति ये है कि
मैं ख़ुद नहीं जानता
मैं कौन हूँ, क्या हूँ।