Monday, January 19, 2009

कमजोर निकले कलेक्टर ठाकुर


श्रीगंगानगर--यहाँ आते ही जिस प्रकार से राजीव सिंह ठाकुर ने चुस्ती फुर्ती दिखाई उस से ये आभास हुआ कि वे दूर दृष्टी पक्का इरादा और कड़े अनुशासन वाले जिला कलेक्टर साबित होंगें। मगर अब इस में संदेह होने लगा है। संदेह की वजह है उन डेरा प्रेमियों के खिलाफ मुकदमा जिन्होंने उनके घर के सामने धरना दिया था। डेरा प्रेमियों पर रास्ता रोकने और ध्वनी प्रदूषण फैलाने का आरोप है। कलेक्टर जी,आपकी नजर में वे दोषी हैं इस में कोई शक नहीं है। आप ने कोतवाल कि ओर से मुकदमा भी करवा दिया लेकिन घर ओर ऑफिस से बहार निकल कर जरा जिले का राउंड लगाओ तब आपको पता लगेगा कि किस किस ने कहाँ कहाँ रास्ता रोक कर आवागमन बाधित कर रखा है। सड़क के किनारे, नहरों की पटरी पर,कलेक्ट्रेट की दिवार के आसपास जहाँ तक निगाह जायेगी आपको कब्जे ही दिखेंगें। डेरा प्रेमियों ने तो अपना विरोध जताने के लिए कुछ घंटे के लिए ऐसा किया मगर हजारों लोग तो सरकारी जमीन पर स्थाई कब्जा किए बैठे हैं।
चलो इनकी तरफ़ नजर मत डालो, तो ये पक्का इरादा कर लेने कि आइन्दा जो भी सड़क आम पर रास्ता रोक कर धरना प्रदर्शन करेगा उसके खिलाफ ऐसा ही मुकदमा किया जाएगा वह भी प्रशासन की ओर से।क्योंकि आम आदमी में इतनी ताकत नहीं कि वह ऐसा कर सके। एक बात और आप अभी आए हो, यहाँ तो हर सप्ताह कई कई बार विभिन्न संगठन इसी प्रकार से धरना प्रदर्शन करेंगें। अगर ऐसे ही मुकदमे दर्ज होते रहे तो जाँच अधिकारी कम रह जायेंगें। शनिवार को डेरा प्रेमी आपके घर तक आ गए अगर आप तुरंत अपनी "प्रजा" से दुखदर्द पूछकर बाहर आकर उनका ज्ञापन ले लेते तो आपकी शान नहीं घटने वाली थी। तब ५ मिनट में सब के सब अपने अपने घर चले जाते, मगर आप बाहर क्यूँ आते आप तो कलेक्टर हो!
कलेक्टर साहेब आप जब तक यहाँ रहें ऐसा ही करना। मन की बात कहूँ, कलक्टरी करना अलग बात है और कलक्टरी करते हुए लोगों का दिल जीतना एक अलग बात। केवल कलक्टरी करने वालों को लोग भूल जाते हैं। इस इलाके के दिल का मिजाज बहुत ही अलग प्रकार का है। जी में आया तो आप पर सब कुछ निछावर कर देंगें और जच्च गई तो पानी भी नहीं पिलायेंगें। निर्णय आप को करना है कि कैसी कलक्टरी करनी है।

3 comments:

निर्मला कपिला said...

खूब खरी खरी सुनाई ब्धाई

PD said...

क्या कलेक्टर साहब इसे पढ़ भी रहे हैं??

राज भाटिय़ा said...

कलेकटर साहब एक मुसिबते लाख, अब अगर कलेकटर साहब अपने मन की करे तो उन्हे ऊपर से आदेश आ जायेगा, फ़िर क्या पता यह कलेकटरी भी उस ऊपर वाले के आदेश से ही मिली हो... राम राम हमे क्या...