Saturday, February 27, 2010

आजाद को सलाम


हिन्दूस्तान की आजादी के लिए हुए आन्दोलन के महान क्रांतिकारी चन्द्र शेखर आजाद। श्री आजाद आज ही के दिन १९३१ में अंग्रेज सेना से लड़ते हुए हिन्दूस्तान पर कुर्बान हो गए थे। उनको हमारा सलाम,जय हिंद और शत शत नमन।

Sunday, February 21, 2010

तू तो हो गई री जोगन

सखियाँ खेलन को आई
बन के सजना,
मैं ना खेलूंगी तुम संग
करो मोहे तंग ना।
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साजन के रंग में रंगकर
साजन की हो ली,
तू तो हो गई री जोगन
खेले ना होली।
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घर घर धमाल मचाए
सखियों की टोली,
साजन परदेश बसा है
कैसी ये होली।

Saturday, February 20, 2010

साजन का संग ना

सखियाँ रंगों में हो ली
संग है सजना,
मेरी होली तो हो ली
साजन का संग ना।
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रंगों में भीगी सखियाँ
मुझसे यूँ बोली,
साजन के संग बिना री
काहे की होली।
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हाथों में ले पिचकारी
आई मेरी सखियाँ,
साजन की राह निहारे
मेरी सूनी अखियाँ ।

Friday, February 19, 2010

फाल्गुन में प्यारा लागे [ प्रथम]

फाल्गुन में प्यारा लागे
मोहे मोरा सजना,
उसके बिना री सखी
काहे का सजना।
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कानों में मिश्री घोले
चंग का बजना,
घुंघरू ना बजते देखो
बिन मेरे सजना।
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रंगों के इस मौसम में
भाए कोई रंग ना,
फाल्गुन बे रंग रहा री
आये ना सजना।

Thursday, February 18, 2010

कश्मीरी पंडित

---- चुटकी----

पी ओ के वालो
लौट के आओ,
कश्मीरी पंडित
भाड़ में जाओ।

Wednesday, February 10, 2010

संत जरनैल सिंह भिंडरावाला

कुछ दिन पहले दिल्ली में संत जरनैल सिंह का एक पोस्टर लगा हुआ था। मीडिया ने खूब हल्ला मचाया। पाकिस्तान बोर्डर के निकट श्रीगंगानगर में अनेक वाहनों पर संत जी के स्टीकर लगे हुए हैं। स्टीकर बाज़ार में मिलते हैं। लोगों ने अपने कम्प्यूटर के डेस्कटॉप पर संत जी की फोटो डाल रखी हैं। ये उनकी भावनाएं हैं। इनके नाम से ब्लॉग हैं। यहाँ तो यह सब सामान्य बात है। किसी न्यूज़ चैनल को ये सामग्री चाहिए तो हम उपलब्ध करवा सकते हैं।

Monday, February 8, 2010

तू उदास मत होना


पतझड़ में
पेड़ से गिरते
पत्तों को देख
तू उदास मत होना,
ये तो
बहार आने को है
ये सन्देश
देने को निकले हैं।

Sunday, February 7, 2010

बाप बिलखता रोटी को

----- चुटकी----

धर्म गुरु के सामने
पकवानों के ढेर,
बाप बिलखता रोटी को
समय का देखो फेर।
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लंगर हमने लगा दिए
जीमे कई हजार
भूखो को रोटी नहीं
ये कैसा धर्माचार।

Saturday, February 6, 2010

तोहफा कुबूल करो


श्रीगंगानगर से प्रकाशित "प्रताप केसरी" अख़बार में सच्चा कार्टून। महंगाई के मारे हमारे जैसे परिवारों की पीड़ा यहाँ के अख़बार से दूर तक नहीं जा सकती थी। इसलिए इसको यहाँ पोस्ट किया गया। वैसे ऐसा लगता है कि इस देश में में अब दो ही वर्ग होंगे, पहला जो सबसे ऊपर की पायदान पर है, दूसरा सबसे नीचे, जो ऊपर की पायदान वालों की झूठन पर निर्भर रहेंगें। इसके अलावा तो कोई रह ही नहीं सकता। यह विडम्बना ही तो है कि देश में महंगाई के कारण हा हा कार मचा हुआ है, हमारे नेता बेमतलब के विवाद पैदा कर लोगों का ध्यान महंगाई से हटा रहे हैं। काश! कोई ऐसा नेता होता जो खुद अपनी कमी में से आटा,चीनी , दाल लेने बाज़ार में जाता। संभव है नेताओं को इनकी कीमतें मालूम ही न हो।