Thursday, January 27, 2011

अधिकारियों का समूह चित्र

श्रीगंगानगर--चार दशक पहले प्राइमरी स्कूल में पांचवी की अंतिम परीक्षा से पहले चौथी कक्षा के विद्यार्थियों ने पांचवी को विदाई पार्टी दी। उस दिन पांचवी के विद्यार्थियों ने मास्टरों के साथ समूह चित्र खिंचवाया। क्योंकि पांचवी के बाद सब यहाँ से चले जाने थे। कौन कहाँ जायेगा,फिर मिलेगा या नहीं? इसलिए चित्र के लिए सभी में उत्साह था। ताकि याद बनी रहे। ऐसा ही दृश्य गणतंत्र दिवस पर कलेक्टर की कोठी पर उस समय साकार हो गया जब सभी प्रशासनिक अधिकारियों ने कलेक्टर के साथ ग्रुप फोटो खिंचवाया। इसके लिए अधिकारियों को बुलाया गया। ज्याणी जी को आवाज लगाकर एक अधिकारी बोला, ज्याणी जी के बिना सब अधुरा है। इनमे फोटो के लिए ठीक वैसा ही जोश देखने को मिला जो पांचवी के बच्चों में था। ये तो फोटो खिंचवाने वाले जाने या सरकार कि कौन कौन विदा होने वाला है!
इस बार कलेक्टर के यहाँ कांग्रेस का कोई नेता,कार्यकर्त्ता नहीं पहुंचा। उनमे से भी कोई नहीं जो शादी के जश्न में इन्ही अधिकारियों की मेजबान के रूप में आव भगत में लगे थे। कांग्रेस का कोई धड़ा नहीं था। यूँ लगा जैसे समारोह का अघोषित बहिष्कार कर रखा हो। पूर्व,वर्तमान जिला प्रमुख को गिनती में शामिल ना करें तो बीजेपी का भी कोई बंदा नहीं था। यह अचरज की बात थी। निर्दलीय सभापति के साथ एक दो पार्षद आ गये थे बस। हर बार कलेक्टर,मंत्री या अन्य वीआईपी सोफे पर बैठते हैं। उनसे निकटता जताने के लिए जानकर लोग सोफे के आस पास वाली कुर्सियों पर कलेक्टर के आने से पूर्व ही बैठ जाते हैं। इस बार भी यही हुआ। किन्तु इस बार कलेक्टर उनसे अधिक चतुर है। वे सोफे पर बैठने की बजाये खड़े ही रहे। लोग अपने साथ लाये फोटोग्राफरों से कलेक्टर के निकट खड़े होकर फोटो उतरवाते रहे। एस पी साहब आये नहीं अभी इसलिए उनका ज़िक्र तब जब वे आ जायेंगें। फ़िलहाल तो डिप्टी राजेन्द्र सिंह कलेक्टर के लाडले बने हुए हैं। यूँ दीक्षा कामरा भी हैं। लो एस पी भी पहुँच गए। बदन पर पठानी सूट, पैरों में तिल्ले वाली पीली जूती। कोई कह ही नहीं सकता था कि ये इनोसेंट दिखने वाला सिख नौजवान श्रीगंगानगर जैसे जिले का एस पी है। उनके आने तक आधे से अधिक लोग जा चुके थे। कलेक्टर ने उनके साथ जलपान लिया। एक बात और अधिक हैरान कर देने वाली थी। वह यह कि इस बार कांडा बंधू नहीं आये। अशोक गहलोत के झटके का असर है या कोई जरुरी काम आन पड़ा,कौन जाने! मनिन्द्र कौर नंदा यह बताना नहीं भूलती थी कि वे एक माह कि विदेश यात्रा करके आई हैं। श्री कृष्ण लीला एंड कंपनी को पहली बार देखा गया। वे दो अम्बुलेंस कलेक्टर की मार्फ़त जनता का समर्पित करवाने आये थे। कलेक्टर के झंडी दिखाते ही वे वहां से चले गए। कलेक्टर के साथ एक झंडी डीवाईएसपी राजेन्द्र सिंह के हाथ में भी थी। अचानक सभापति भी आ गए। राजेन्द्र सिंह ने अपनी झंडी उनको पकड़ा डी। इसके साथ ही फोटो में कई चेहरे बढ़ गए। गणतंत्र और स्वतन्त्र दिवस के मुख्य समारोह के बाद कलेक्टर निवास पर जलपान समारोह होता है। झंडा फहराने के लिए कोई मंत्री आया हो तो यहाँ आने वालों की संख्या अधिक होती है। समारोह में कौन आ सकता है,कौन नहीं? किसको किस कारण से निमंत्रण दिया जाता है। इस बारे में कुछ खास नहीं मालूम। ये पता जरुर है कि हर बार पुरानी लकीर ही पीटी जाती है। नासिर काज़मी कहते हैं-फिर सावन रुत की पवन चली तुम याद आये,फिर पत्तों की पाजेब बजी तुम याद आए। एसएमएस--एक मेंढक ज्योतिषी के पास गया। ज्योतिषी बोला-बच्चा!आज तेरी किस्मत में एक लड़की है। वो तेरे बारे में सबकुछ जानना चाहती है। मेंढक ने खुश होकर पूछा-मगर महाराज वो मिलेगी कहाँ? ज्योतिषी ने गंभीरता से कहा,बायो लैब में।

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