Thursday, March 31, 2011
खेल खेल में अनेकता में एकता
Wednesday, March 30, 2011
लाटरी में निकली भारत की जीत
जयपुर--सुबह का वक्त। कृषि विपणन मंत्री गुरमीत सिंह कुनर अपने सरकारी आवास पर आज कुछ अधिक व्यस्त हैं। दोपहर बाद मंडियों के आरक्षण की लाटरी निकालनी है। इसके लिए अधिकारियों को आदेश निर्देश दिए। लाटरी की सोच के से उनके दिल में आइडिया आया। भारत -पाक के लिए लाटरी निकालने का। सेमी फ़ाइनल में दो दिन बाकी थे । मन में उत्सुकता आज ही कि कौन जीतेगा!वह दो दिन बाद होने वाले नतीजे को अभी जान लेना चाहते है। मगर आज बताए कौन कि जीत किसकी होगी। इस बारे में भविष्यवाणी करना असंभव है। तो क्या करे! दिल है की मानता नहीं। यही है क्रिकेट का जुनून। वह जादू जो सभी को सम्मोहित कर लेता है। । क्रिकेट यह नहीं देखता कि सामने कौन है। आम क्रिकेट प्रेमी या मंत्री। बस सर चढ़ कर असर दिखाना शुरू कर देता है । श्री कुनर ने दो पर्चियां बनाई। एक पर लिखा भारत,एक पर पाकिस्तान। दोनों को मेज पर रख दिया। अपनी नन्ही सी पोती ख़ुशी को बुलाया। पर्ची उठवाई। जो पर्ची ख़ुशी ने मासूमियत से उठाई उस पर भारत लिखा था। मतलब, सेमी फ़ाइनल भारत की टीम जीतेगी। पर्ची कोई ऑक्टोपस नहीं,लेकिन गुरमीत सिंह को विश्वास है। मन को तसल्ली हुई। एक मासूम बालिका जो क्रिकेट को ना तो जानती है ना समझती है उसके हाथ ने जो पर्ची उठाई उस पर भारत है, इसलिए भारत की जीत की सम्भावना है। इस प्रकार के टोटके हिन्दूस्तान में बहुत किये जाते हैं। असल मैच में क्या होगा? कौन जानता है। परन्तु श्री कुनर का दिल यह मानता है कि जीत भारत की होगी। बहुत कम लोग जानते हैं कि गुरमीत सिंह कुनर क्रिकेट मैच देखने के बहुत शौकीन हैं। आज से नहीं पहले से ही। यह उनके द्वारा अपने घर में निकलवाई गई लाटरी से भी साबित होता है। बेशक उस लाटरी का कोई मतलब नहीं मगर यह बात यह तो साबित करती ही है कि उनको क्रिकेट कितना भाता है। सरकारी काम काज में व्यस्त हों तब भी वे बीच बीच में ये ये कहना नहीं भूलते " स्कोर की हो गया"।
सचिवालय,जहाँ से सरकार राजस्थान को चलती है,दोपहर तक तो खूब चहल पहल रही। घडी की सुइयां ढाई की तरफ बढ़ी तो वहां सन्नाटा पसरना शुरू हो गया। जो मंत्री आये वे लौट गए। वही बचे जिनका वहां होना जरुरी था। किसी ने नेट पर अपने आप को मैच से अपडेट रखा किसी ने फोन करके मिलने वालों से मैच का हाल जाना।हर कोई सेमी फ़ाइनल से जुड़ा हुआ था। मैच के दौरान भारत-पाक के प्रधानमंत्रियों सहित खास वी वी आई पी को टी वी पर देखने की उत्सुकता दर्शकों में रही। शरद पवार, विजय मालिया,आमिर खान, विवेक ओबेराय,प्रीटी जिंटा सहित टी वी के कलाकार जरुर दिखे। किन्तु मनमोहन सिंह, गिलानी, राहुल गाँधी आदि ना दिखे। कहते हैं कि सुरक्षा कारणों से उनको नहीं दिखाया गया। कुंअर बेचैन कहते हैं--तेरा सोचा हुआ ही तेरा है, और सब है उधर का बंधन। तू तो बस आत्मा है इतना समझ,छोड़ ये जीत हार का बंधन।
Sunday, March 27, 2011
खेल खेल है जंग केवल जंग
Friday, March 25, 2011
चेहरे पर धूल है
Friday, March 18, 2011
फाल्गुन कैसे गुजरेगा सजनी करे विचार
सजनी करे विचार,
फाल्गुन कैसे गुजरेगा
जो नहीं आए भरतार।
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फाल्गुन में मादक लगे
जो ठंडी चले बयार,
बाट जोहती सजनी के
मन में उमड़ा प्यार।
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साजन का मुख देख लूँ
तो ठंडा हो उन्माद ,
महीनों हो गए मिले हुए
रह रह आवे याद।
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प्रेम का ऐसा बाण लगा
रिस रिस जावे घाव ,
साजन मेरे परदेसी
बिखर गए सब चाव।
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हार श्रृंगार छूट गए
रही ना कोई उमंग,
दिल पर लगती चोट है
कौन बजा रहा चंग।
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परदेसी बन भूल गया
सौतन हो गई माया,
पता नहीं कब आएंगे
जर जर हो गई काया।
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माया बिना ना काम चले
ना प्रीत बिना संसार,
जी करता है उड़ जाऊ
छोड़ के ये घर बार।
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वाह! फाल्गुन,अहा! फाल्गुन
Thursday, March 17, 2011
रंग छोड़ कर अंग लगा ले
गया मलाल
मन में उमड़ा
प्रीत का ज्वार
दोनों मिले
बाहें पसार।
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आया भरतार
लगाया ना रंग ,
प्यासी गौरी
लग गई अंग।
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रंग छोड़ के
अंग लगा ले
हो जाउंगी लाल रे,
मौका और
दस्तूर भी है
तू
बात ना मेरी टाल रे।
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झीने कपड़ों पर
साजन ने मारी
प्रेम भरी पिचकारी ,
सकुचा कर
अपने आप में
सिमट गई सजनी
सारी की सारी।
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Monday, March 14, 2011
फाल्गुन कैसे गुजरेगा
सजनी करे विचार,
फाल्गुन कैसे गुजरेगा
जो नई भरतार।
हार श्रृंगार छूट गए
रही ना कोई उमंग ,
दिल पर लगती चोट है
बंद करो ये चंग।
घोड़े की नाल की मार्केटिंग
Sunday, March 13, 2011
छोटी छोटी बातें
जयपुर की ही एक और बात कर लेते हैं। पुलिया कंट्रोल रूम के सामने तिराहे पर कई यातायात पुलिस के को बन्दे ड्यूटी पर हैं। कई वाहनों के साइड में यह कह कर करवाते हैं कि उन्होंने ने नियमो का पालन नहीं किया। वे ये भी कहते हैं कि ऐसा वे नहीं कहते बल्कि कंट्रोल रूम वाले इधर उधर लगे कैमरे में देख कर बताते हैं। उनको रोका है तो चालान भी होगा। बचने के रास्ते भी हैं। एक बाइक वाले ने इंचार्ज से पूछा, क्या लगेगा? दो सौ, यातायात कर्मी बोला। साइड में आओ, बाइक वाले ने गरिमा दिखाई। पुलिस वाला बेशर्मी दिखाता हुआ बोला, यहीं दे दो। मेरे पास बहुत है। कोई चिंता नहीं। बाइक वाले ने वहीँ दो सौ रूपये दिए। पुलिस वाले ने ठाठ से जेब गर्म की। पुलिस कंट्रोल रूम के सामने। जहाँ कैमरे लगे हुये हैं। इन कैमरों में इस प्रकार के दो सौ रूपये तो शायद ही नजर आते हों। रोका तो हमें भी था। लेकिन यह कहकर कि आप तो काम के आदमी हो जाने दिया। अब ये अभी तक समझ नहीं आया कि जो कैमरे नियमों का पालन ना करने की बात कर रहे थे वे ठीक कैसे हो गए?
नगर विकास न्यास की चेयरमैनी के लिए अनगिनत लोग सपने देख रहे हैं। किस के भाग में क्या है कौन जानता है। किन्तु यह तो परम सत्य ही है कि गुरमीत सिंह कुनर के सम्बन्ध मुख्यमंत्री से बहुत की घनिष्ट हैं। एक तरफ से नहीं दोनों तरफ से। सरकार में जिले के एक ही मंत्री है। इसके बावजूद चेयरमैनी के किसी भी तलबगार ने श्री कुनर से सम्पर्क नहीं किया है। चेयरमैनी के लिए मुख्यमंत्री श्री कुनर से बात करें या ना करें , ये अलग बात है। मगर इस में तो कोई संदेह नहीं कि श्री कुनर किसी नाम की सिफारिश करेंगे तो उस पर गौर तो अवश्य होगा। विचार हमने दे दिया अब विमर्श वो कर लें जो न्यास का चेयरमैन बनने के प्रयास में हैं। किस के हाथ से क्या मिल जाये कौन जानता है। चलो होली की कुछ लाइन पढो। ये मेरी अपनी हैं। --" आया भरतार , ना लगाया रंग। प्यासी गौरी ,लग गई अंग। "
Monday, March 7, 2011
कैसे किया कमाल
कैसे आया ख्याल,
आपकी मज़बूरी की
नहीं इस से बड़ी मिसाल।
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मजाक मजाक में बीत गए
कई अमूल्य साल,
सच बतलाना मनमोहन जी
ये कैसे किया कमाल।
Saturday, March 5, 2011
अपना लगने लगा शैतान
देख भला इन्सान ,
अपना सा लगने लगा
जो बैरी था शैतान।
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यही सोच कर सबके सब
होते हैं परेशान,
भ्रष्टाचार का कोई किस्सा
अब करता नहीं हैरान।
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गली गली में बिक रहा
राजा का ईमान ,
सारी उम्मीदें टूट गईं
अब क्या करें भगवान।
Friday, March 4, 2011
बाकी तो बजाओ ताली
अशोक चव्हाण
सुरेश कलमाड़ी
ए राजा
पी जे थामस
बी एस लाली ,
प्रधानमंत्री तो
मजबूर हैं
बाकी तो
बजाओ ताली।
Thursday, March 3, 2011
धन्य और सौभाग्यशाली धर्मपाल
Wednesday, March 2, 2011
कौने कौने में महंगाई
और
कनस्तर से पीपे
तक ,रसोई के
कौने कौने में
फ़ैल गई महंगाई,
जिन्दगी की तरह
पल पल सिकुड़
रही है
आम आदमी की कमाई।
Tuesday, March 1, 2011
डायपर्स सस्ते होंगे,पेट भरना मुश्किल
गाली देना नहीं सिखाया जाता पुलिस को
श्रीगंगानगर-- पुलिस कर्मियों द्वारा किसी को गाली देना एक आम बात है। समाज में भी यही कहते सुना जाता है कि पुलिस वालों को ट्रेनिंग के समय गाली निकालना भी सिखाया जाता है। लेकिन यह सच नहीं है। राजस्थान के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक [ प्रशिक्षण] सुधीर प्रताप सिंह ने आज प्रेस को बताया कि ट्रेनिंग में गाली देना नहीं सिखाया जाता। एक मीडिया ने उनसे इस बारे में प्रश्न किया था। वे श्रीगंगानगर में जिला पुलिस का वार्षिक निरीक्षण करने के लिए यहाँ आये हुए हैं। श्री सिंह ने बताया ट्रेनिंग में वह सब कुछ शामिल किया जा रहा है जिसकी बदलते हालातों में जरुरत है। उनके अनुसार आर्थिक अपराधों की बढती संख्या तो देखते हुए पुलिस को भी इसी के अनुरूप तैयार किया जा रहा है। पुलिस के प्रति अविश्वास के संदर्भ में श्री सिंह ने कहा कि पुलिस का आचरण बढ़िया हो तो अविश्वास नहीं हो सकता। पुलिस को विनम्र रह कर मजबूती से काम करना चाहिए। कानून में वे समस्त प्रावधान है जिसके सहारे वह हर प्रकार के अपराधी से मुकाबला कर सकती है। उन्होंने कहा कि पुलिस दिखनी चाहिए। जब तक पुलिस समाज में नजर नहीं आएगी तब तक उस पर आम आदमी का विश्वास नहीं जमेगा। सुधीर प्रताप सिंह दो दशक पहले श्रीगंगानगर के एस पी रहे थे। तब उन्होंने अपने काम,आचरण और सामाजिक सरोकार की वजह से बहुत ख्याति पाई थी। लोग आज भी यह कहते हुए सुने जा सकतेहैं कि एस पी तो सुधीर प्रताप सिंह था। तब उन्होंने नशे के आदी लोगों का नशा छुडवाने के लिए कई शिविर लगवाये थे। इसके लिए उन्होंने जोधपुर की माणकलाव संस्था का साथ लिया था। पुलिस की देख रेख में लगे इन शिविरों में जो लोग नशा छोड़ देते थे उनपर सम्बंधित थाना के लोग निगरानी भी रखते। ताकि वह फिर से नशा न करने लगे। हालाँकि श्री सिंह के जाने के बाद शिविर तो लगे। मगर अब यह परम्परा लगभग समाप्त ही हो गई है।
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