Thursday, March 3, 2011

धन्य और सौभाग्यशाली धर्मपाल

श्रीगंगानगर--सौभाग्यशाली धर्मपाल धन्य हो गया। सौभाग्यशाली इसलिए क्योंकि वह पुलिस में हैं। धन्य इसलिए कि उसने अपने धर्म का पालन किया है। जब नाम धर्मपाल है तो उसका पहला फर्ज है धर्म का पालन करना। किसी पुलिस वाले का पहला धर्म क्या होता है! माल किसी का हो उसको अपना बनाना। यही धर्मपाल ने किया। चोरी की बाइक मिली,उसको अपना बना चलाया। इस से बड़ा धर्म पुलिस का कोई हो ही नहीं सकता। किसी को विश्वास नहीं तो थानों में जाकर देख लो। विभिन्न प्रकरणों में बरामद सामान कहाँ और कैसे जाता है! सॉरी! इस स्टोरी के धर्मपाल को आप पहचान ही गए होंगे। जो नहीं जानते उनकी सनद के लिए बता दूँ। धर्मपाल बस अड्डा चौकी का सिपाही है। उसे चोरी की बाइक मिली और भूल गया। धर्मपाल को पहली पंक्ति में सौभाग्यशाली बताया है। इसकी वजह ये कि अगर सौभाग्यशाली ना होता तो अब तक उसके खिलाफ कार्यवाही हो चुकी होती। धर्मपाल एक आम नागरिक होता तो उसको तुरंत ही थाने बुला लिया जाता। या कोई आकर ले जाता। उसका परिवार उन लोगों की चौखट पर नाक रगड़ रहा होता जो पुलिस तक अप्रोच रखते हैं। पुलिस की यह परम्परा है। इसी से उनका घर भरता है। पुरानी आबादी थाना प्रभारी है भी सी एम के मौहल्ले का. उनको सिफारिश करवाने के लिए तो खुद सी एम से ही अप्रोच करनी पड़ती। चूँकि वह पुलिस का सदस्य है इस कारण पहले जाँच होगी फिर कार्यवाही। इतना तो चलता है। घर की बात है। यह नियम केवल पुलिस सदस्य के लिए है। दूसरे के लिए तो पहले कार्यवाही फिर जाँच। पकड़ ही लिया तो कुछ ना कुछ तो मिलेगा ही। देना ही पड़ेगा। यह पुलिस है। यहाँ माया और काया कष्ट दोनों होते हैं। काया कष्ट से बचने के लिए माया का सहारा लिया जाता है फिर भी जो लिखा है वह तो भोगना ही पड़ता है। ये इस प्रकार के हर प्रकरण में होता है। बस, पता लग जाये कि चोरी का सामान किसके पास है ! किसने चोरी का सामान ख़रीदा है! चाहे उस आदमी से यह सब अनजाने में ही हुआ हो। समझो उसका तो बंटा धार हो गया। सिफारिश करने वाला भी दस बार सोचेगा। फोन करूँ,ना करूँ! पुलिस सच्ची है या सिफारिश करवाने आया बंदा! पुलिस को फोन करे तो इमेज धूमिल होने की आशंका. धर्मपाल आदरणीय, सम्मान योग पुलिस का अपना है । इनको अपने घर में दोनों में से कोई कष्ट होने का सवाल ही पैदा नहीं होता। यही तो संयुक्त परिवार के फायदे हैं। एक सबके लिए,सब एक के लिए। जब अपना ही हम निवाला है तो उसको सफाई देने का हर किस्म का मौका दिया जायेगा। आखिर जाँच करनेवालों को भी तो अपना पुलिसिया धर्म निभाना है। धर्म को पालना अकेले धर्मपाल की ही जिम्मेदारी नहीं है। पूरी पुलिस फ़ोर्स की है। जब ये धर्म निभाएंगे तभी तो धर्मपाल बचेगा। धर्मपाल बचने का मतलब है धर्म का बचना। पुलिस धर्म का सुरक्षित,बेदाग,निष्पक्ष रहना। बड़ी कठिन परीक्षा की घडी आन पड़ी है पुलिस के कन्धों पर। उन कन्धों पर जिनपर पहले से ही अनेकानेक ऐसे मैडल रखे हैं । घबराओ नहीं। पुलिस ने इस प्रकार की घडी का पहले भी बहुत बार सामना किया। पुलिस अपने धर्म की रक्षा करने में हमेशा की तरह कामयाब होगी। सुनो! पूरी पुलिस एक स्वर में गा रही है--हम होंगे कामयाब........, मन में है विश्वाश। जय हिंद। रवीन्द्र कृष्ण मजबूर कहते हैं- खोट भरो,कोई चोट करो,सितम करो,अंधेर करो,बोतल से महफ़िल जमती है,गुंडों से खुल्ला मेल करो। सीधे -सादे जीवन को कुछ लोग हिमाकत कहते हैं।

No comments: