Thursday, April 28, 2011

अपनों से हारता हूँ

गैरों से नहीं
अपनों से
हारा हूँ,
गम का नहीं
प्यार का
मारा हूँ

Saturday, April 23, 2011

ये ख़ामोशी के राज हम जानतेहैं
यूँ चुप रहने के अंदाज हम जानते हैं,
यकीन नहीं आता तो अपने दिल से पूछ लो
आप से बेहतर आप को हम जानते हैं
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एक एसएमएस राजू ग्रोवर का

Friday, April 22, 2011

ये क्या हो गया जनाब


श्रीगंगानगर
--घर लौटने के बाद जगदीश जांदू एंड कंपनी राजनीति गणित के एक उत्तर से उलझन में हैं इस उलझन ने घर आने की ख़ुशी के मीठे में कसेला डाल दिया राजनीति के गणितज्ञ रेखा,बीज,अंक गणित के सभी सूत्र लगाकर देख चुके उत्तर एक ही आता है, जीरो ये क्या हो गया? सभी फारमूले अप्लाई कर दिए इनको,उनको,सबको अलग अलग प्रकार से जोड़,गुणा,भाग,माइनस,वर्गमूल करके देख लिया उत्तर बार बार ,हर बार जीरो का जीरो इस जीरो ने जगदीश जांदू के दिलो दिमाग से घर वापसी के जश्न का खुमार उतार दिया इलाके की राजनीति के गुरु राधेश्याम गंगानगर ने अपने चेले को भले ही सब कुछ सिखाया,पढाया परन्तु राजनीति में पलटी कब मारनी चाहिए, ये गुर नहीं दिया यह नहीं सीखा तभी तो उत्तर जीरो रहा है चेले ने यह पाठ समझा होता तो वह इस वक्त अपने घर नहीं लौटता जांदू ने घर आकर राजनीतिक सौदे बाजी का अवसर ख़तम कर लिया यह कोई छिपा हुआ एजेंडा नहीं है कि जांदू विधायक बनना चाहते हैं श्रीगंगानगर से टिकट उनको मिलनी नहीं सादुलशहर में संतोष सहारण की टिकट कटनी नहीं तो जांदू जी क्या करेंगे? अब इनके पास तो कोई विकल्प है नहीं या तो फिर से बगावत करो, या किसी और के लिए वोट मांगो दोनों ही परिस्थितियों में कोई उनपर विश्वास नहीं करेगा जांदू जी अपने गुरु को याद करो! ठाकर को देखो! क्या मौके पर पलटी मारी थी बल्ले बल्ले हो गई घर आने के बाद जांदू जी का स्टेटस तो बढ़ा नहीं हाँ जिम्मेदारी जरुर बढ़ गई पार्टी के कई प्रकार के प्रोटोकोल अलग से पार्टी के नियम,कायदे तो हैं ही चंदा चिटठा भी देना ही पड़ता है, पार्टी चलाने,उसके कार्यक्रम के लिए निर्दलीय थे तो कोई चिंता नहीं काम हुआ, हुआ, नहीं हुआ तो नहीं हुआ कह देते सरकार नहीं करती बयान ही तो देना था कि गौड़ -जसूजा अड़चन डालते हैं सभापति का पद कोई छीन नहीं सकता था अब ऐसा नहीं हो सकता चाहे सरकार ना करे गौड़- जसूजा सच में अडंगा लगायें जांदू जी सारे आम कुछ नहीं कह सकते काम नहीं हुआ तो कार्यकर्त्ता नाराज बात ऊपर तक जाएगी चुनाव आते आते कई नए विरोधी पैदा होने का अंदेशा राजनीतिक विश्लेषक बेशक सार्वजानिक रूप से कुछ ना कहें लेकिन उनकी चर्चा से लगता है कि श्रीगंगानगर में राजकुमार गौड़ को राजनीतिक रूप से कमजोर करने के लिए जगदीश जांदू को इस्तेमाल किया गया है जांदू जी इस्तेमाल हो भी गए इस समय जब चारों तरफ लोग कांग्रेस से नाराज हैं। बीजेपी के सत्ता में आने की खबर आम है। जगदीश जांदू का घर आना उनकी राजनीति अपरिपक्वता को दर्शाता है। संभव है यह बात भीड़ में उनको ठीक ना लगे। किन्तु चिंतन मनन करेंगे तो समझ जायेगा कि उन्होंने घर आकर क्या खोया,क्या पाया? पहले एक शेर-इस अंजान शहर में पत्थर कहाँ से लगा, लोगों की इस भीड़ में कोई अपना जरुर है। एस एम एस पत्रकार साथी राकेश मितवा का ,जो उस दिन मिला जिस दिन जांदू जी घर लौटे थे। एस एम एस पढ़े--जांदू जयंती पर शुभकामनाएं।

Friday, April 15, 2011

सफर रोज का,जाना कहीं नहीं

के कंडक्टर जैसी
हो गई है जिंदगी,
सफ़र भी रोज का
और
जाना भी कहीं नहीं

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तीस साल पुराने मित्र राजेश अरोड़ा का एक एस एम एस।

Thursday, April 14, 2011

प्रशासन नहीं जानता

श्रीगंगानगर- बूटा सिंह पहले बहुत कुछ थेअब वे केवल पूर्व हैंपूर्व केन्द्रीय गृह मंत्रीबिहार के पूर्व राज्यपालएस सी आयोग के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्षहमारे प्रशासन को बूटा सिंह के बहुत कुछ से पूर्व होने की जानकारी नहीं है या कौन पूछता है के हिसाब से फाइल चलती हैंएक सप्ताह पहले बूटा सिंह के पीप्रीति मल्लिक ने जिला कलेक्टर को उनके आने का मिनट टू मिनट कार्यक्रम भेजाउसमे कहीं भी इस बात का उल्लेख नहीं है कि बूटा सिंह किसी पद पर हैंबस बूटा सिंह के नाम के आगे जेड प्लस सुरक्षा का ज़िक्र जरुर हैपी ने इसी के अनुरूप इंतजाम करने की बात प्रशासन से अपने सन्देश में कहीआगे का काम जिला प्रशासन का था। पता नहीं तो उन्होंने सन्देश को पढ़ा नहीं या फिर लापरवाही से पढ़ा और फाइल आगे सरका दी। उसके बाद यहाँ के अधिकारियों,कर्मचारियों ने व्यवस्था के लिए यह आदेश जारी किया--"श्री मान जिला कलेक्टर महोदया के आदेश क्रमांक एफ ४०[३३] []जन/१०/५९९९-६००८ दिनांक ..११ के अनुसार माननीय डॉ बूटा सिंह जी, अध्यक्ष राष्ट्रीय आयोग अनुसूचित जाति[भारत सरकार] का दिनांक १३..११ से १४..११ तक जिला श्रीगंगानगर दौरे के दौरान दिनांक १३..११ को प्रातः .४० बजे रेलवे स्टेशन श्रीगंगानगर पहुंचेगे। ............ । " उसके बाद अलग अलग विभाग के अपने स्टाफ के लिए दिशा निर्देश हैंये आदेश कई विभागों के यहाँ पहुंचेयहाँ तक की परियोजना प्रबंधक एस सी ,एस टी निगम को भी उनके आगमन की सूचना दी गईबात ये कि बूटा सिंह के लिए जो इंतजाम किये गए उनको अध्यक्ष मानकरजबकि फिलहाल इस आयोग के अध्यक्ष एक सांसद है श्री पुनियाउनकी नियुक्ति कई माह पहले हो चुकी हैकिसी ज़माने में कांग्रेस में अग्रिम पंक्ति के नेता रहे बूटा सिंह के पी प्रीति मल्लिक ने भी इस बात की पुष्टि कीउन्होंने इस रिपोर्टर को बताया कि बूटा सिंह अब आयोग के अध्यक्ष नहीं हैंहमारा संवेदनशील प्रशासन इस बात को नहीं जानताउसने जानने की कोशिश ही नहीं कीवरना तो बूटा सिंह के पी ने जो फैक्स भेजा था उसी से पता चल जाता। पर उसको ठीक ठाक ढंग से पढ़े कौन? इसमें आनी जानी भी क्या है? इनके लिए किसी बड़े का आना सिरदर्द ही है। जो कर दिया वो ठीक। कम तो किया नहीं। अधिक ही किया है। वैसे इस बार बूटा सिंह से कांग्रेस के खूब नेता मिले। बूटा सिंह जब भी आते थे तब उनके साथ दुला राम और उनका साथी महेंद्र सिंह बराड़ ही होते थे। बाकी नेता उनके निकट जाने से कन्नी काटते। इस बार अधिकांश नेता बूटा सिंह के निकट लगे। उनके साथ फोटो खिंचवाए। कारण! कारण तो ज्ञात नहीं। समय आने पर कारण भी सामने आ जायेगा। फिलहाल जहीर कुरेशी की लाइन पढो--जो आसमान में उड़ने से दिल चुराती हो, मेरी निगाह में ऐसी कोई पतंग नहीं।

Tuesday, April 12, 2011

रख लिया राज

----चुटकी----

राजनीति!
नीति निकाल कर
रख लिया राज,
आज की
राजनीति
यही तो है जनाब

Sunday, April 10, 2011

बाबा की झोली रह गई खाली

--- चुटकी---

उठाया
बाबा जी ने बीड़ा,
उसमे
लग गया
अन्ना नाम का कीड़ा ,
बाबा की झोली
रह गई खाली
अन्ना के
नाम पर
बज गई ताली

आँखों से होकर दिल में

एक तस्वीर
ना जाने
कहाँ से
एकदम
सामने गई,
आँखों से होकर
दिल में समा गई,
ऐसा कहाँ है
हमारी तकदीर में
कि हम भी हों
तुम्हारी तस्वीर में

Saturday, April 9, 2011

नेता दूर रहे अन्ना से

--- चुटकी---

पता नहीं
क्या बात
हुई हुजूर,
सबके नेता
रहे, हमारे
अन्ना से दूर

सब कुछ नहीं हुआ

हिन्दूस्तान में अन्ना हजारे के पक्ष में चली आंधी से सरकार थोड़ी डगमगाई। आज वह हो जायेगा जो अन्ना चाहते हैं। इस आन्दोलन से जुड़े लोग खुशियाँ मनाएंगे। एक दो दिन में अन्ना को भूल कर आई पी एल में खो जायेंगे। यही होता आया है इस देश में। आजादी मिली। हम सोचने लगे ,अब सब अपने आप ठीक हो जायेगा। क्या हुआ? कई दश पहले " हाय महंगाई..हाय महंगाई " वाला गीत आज भी सटीक है। गोपी फिल्म का गाना " चोर उचक्के नगर सेठ और प्रभु भगत निर्धन होंगे...जिसके हाथ में होगी लाठी भैंस वही ले जायेगा..... " देश के वर्तमान हालत की तस्वीर बयान करता है। लोकतंत्र। कहने मात्र से लोकतंत्र नहीं आ जाता। देखने में तो भारत में जनता की,जनता के लिए जनता द्वारा चुनी हुई सरकारे ही आई हैं। किन्तु लोकतंत्र नहीं आया। भैंस बेशक किसी की रही मगर लेकर वही गया जिसके हाथ में लाठी थी। कहीं ऐसा ही हाल इस आन्दोलन का ना हो जाये। इसलिए अन्ना हजारे के आन्दोलन से जुड़े हर आदमी को सजग ,सचेत रहना है। जो कुछ चार दिनों में जंतर,मंतर पर हुआ उसका डर सरकार को बना रहे। मकसद जन लोकपाल विधेयक नहीं ,करप्शन मुक्त भारत है। विधेयक पहली सीढ़ी है। इसके बन जाने से ही करप्शन ख़तम नहीं हो गया। होगा भी नहीं। अभी तो केवल शुरुआत है। देश में माहौल बना है। आम आदमी के अन्दर करप्शन के प्रति विरोध,आक्रोश मुखर हुआ है। वह सड़क पर उतरा है। यह सब कुछ बना रहना चाहिए। बस यह चिंगारी बुझे नहीं। ऊपर राख दिखे तो दिखे। कुरेदो तो चिंगारी नजर आनी चाहिए जो फूंक मारते ही शोला बन जाने का जज्बा अपने अन्दर समेटे हो, सहेजे हो। वरना सब कुछ जीरो।

Friday, April 8, 2011

आई पी एल और अन्ना

आई पी एल एक रोमांच हैअन्ना हजारे एक सुकून हैइस लिए आई पी एल अन्ना हजारे का स्थान नहीं ले सकता

बदल गई सरकार की चाल

अन्ना हजारे
जीओ
हजारों साल,
चार दिन में
बदल गई
सरकार की चाल

Thursday, April 7, 2011

क्रिकेट के लिया समय दिया अन्ना को भी दो

हिन्दूस्तान के १२१ करोड़ लोगों में से उन को छोड़ दो जिनको किसी बात की समझ नहीं है। इनमे बच्चे और वे इन्सान शामिल हैं जिन्हें अपने अलावा किसी से कोई मतलब नहीं। इसके बाद जो बचे उन्होंने क्रिकेट के लिए अपना बहुत समय दिया। भारत वर्ल्ड कप जीते , ये प्रार्थना की। जीतने के बाद खुशियाँ मनाई। पटाखे छोड़े। मिठाइयाँ बांटी। सड़कों पर डांस किया। देर रात तक ख़ुशी से किलकारियां मारते हुए हुए गलियों में घूमे। दूसरे दिन तक यही सब कुछ चलता रहा। चलना भी चाहिए था। सब के भाव थे। भारत की इज्जत का सवाल था। कप ना मिलता तो संसार में नाक कट जाती। पूरा देश एक हो गया। भारत अखंड नजर आने लगा। गली,सड़क, छोटे से कौने से भी यही आवाज सुने दी"विजयी भव "। ये कोई स्थाई नहीं। आज कप हमारे पास है। कल किसी और का होगा। कल,मतलब कुछ दिन पहले तक किसी अन्य का था। किन्तु हिन्दूस्तान था,है और रहेगा। कप उतना मान सम्मान हिन्दूस्तान दुनियां में नहीं दिला सकता जितनी ईमानदारी, सच्चाई,मजबूती दिला सकती है। यह सब पाने के लिए भी मैच हो रहा है। अफ़सोस कि इसमें किसी अन्य देश कि टीम नहीं। दोनों तरफ अपने ही हैं। एक तरफ हैं सामाजिक कार्यकर्त्ता अन्ना हजारे और दूसरी ओर भ्रष्ट सिस्टम। उसके चलाने वाले नेता,अफसर। अन्ना हजारे के साथ देश के हर कौने से हर वर्ग जुड़ रहा है। लोग दिल्ली के जंतर मंतर पहुँच रहे हैं। जो नहीं जा पा रहे वे अपने स्तर अन्ना के साथ खड़े दिखते हैं। " हम अन्ना के साथ हैं। आप ! अगर आप भी साथ हैं तो ये सन्देश दूर तक भेजो। क्योंकि भारत को महान बनाना है। " ये एस एम एस बड़ी संख्या में भेजे जा रहे हैं आगे से आगे, बहुत दूर तक। ब्लॉग हो या फेसबुक। अन्ना के समर्थन में भरे पड़ें हैं। हर कोई अन्ना की ही बात कर रहा है। कोई उनसे मिला नहीं लेकिन उनके साथ हैं। किसी को कोई व्यक्तिगत फायदा होने वाला नहीं ,परन्तु अनेकानेक जागरूक जेब से पैसा खर्च कर अभियान के साथ जुड़े हुए हैं। इनको अन्ना हजारे या उनके किसी सहयोगी ने ऐसा करने को नहीं कहा। इन पर किसी का किसी किस्म के दवाब का भी सवाल नहीं है। फिर भी लागे हैं देश को करप्शन से मुक्त करवाने के अभियान में अन्ना हजारे के साथ। क्रिकेट की बात पुरानी हो गई। अब हर न्यूज़ चैनल पर अन्ना हजारे व उनका आन्दोलन है। महात्मा गाँधी के अनशन के बारे में केवल सुना था। सुना कि किस प्रकार गाँधी के अनशन से सरकार हिल जाती थी। जन जन गाँधी की भाषा बोलने लगता। आज इसको देख लिया। कोई फर्क नहीं। सब कुछ वैसा ही है बस पात्र बदल गए। तब देश को विदेशियों से आजाद करवाना था। आज उन अपनों से जो कण कण में करप्शन चाहते हैं। इस आजादी के बिना वो आजादी बेकार हो रही है,अधूरी है जिसके लिए गाँधी जी ने अनशन किया था। अगर तब गाँधी जी जरुरी थे तो आज अन्ना हजारे उनसे भी अधिक जरुरी हैं। क्योंकि जो पूरा नहीं वह किस काम का।

हजारे सबके प्यारे

सबको प्यारे
अन्ना हजारे
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अन्ना हजारे के समर्थन में कल श्रीगंगानगर में धरना दिया
जायेगासमय रहेगा सुबह ११ बजे

Wednesday, April 6, 2011

हम अन्ना हजारे के साथ ,आप

हम सब अन्ना हजारे के साथ हैंऔर आप? अगर आप भी तो फिर इस सन्देश को भेजो जहाँ तक भेज सकते होक्योंकि भारत को सचमुच महान बनाना है

Monday, April 4, 2011

ट्राफी नकली,खेल असली

असली वर्ल्ड कप। खेलने वाले असली। ट्राफी नकली। देने वाले शरद पवार। हा....हा....हा... हा... । एक नकली ट्राफी के लिए इतना ताम झाम।

Sunday, April 3, 2011

अब सतयुग आया समझो

श्रीगंगानगर-अब ठीक है। बेक़रार दिल को सुकून मिल गया। मन प्रसन्न है। आत्मा ख़ुशी के तराने गा रही है। हिन्दूस्तान क्रिकेट का बादशाह बन गया। सब चिंताएं समाप्त। कोई परेशानी नहीं। देश में क्रांति होगी। कप आ गया अब जो आपके सपने हैं सब पूरे हुए समझो। घोटाले नहीं होंगे। जो हो चुके उनके पैसे सरकारी खजाने में आ जायेंगे। नेता ईमानदार हो जायेंगे। करप्शन इतिहास बन जायेगा। देश में कानून का राज होगा। कानून भी सब के लिए बराबर। जाति,धर्म,अमीर,गरीब देख कर कोई भेद भाव नहीं। मंत्री भी सरकारी कर्मचारी,अफसर की तरह दफ्तरों में बैठेंगे। वे भी तो वेतन लेते हैं। जनता के काम कर्मचारी,अधिकारी,मंत्री अपना काम समझ कर तुरंत करेंगे। अब फैसले नहीं न्याय होगा। पीड़ित को न्याय के लिए इंतजार नहीं करना होगा। वह खुद उसकी चौखट पर आएगा। पुलिस दादागिरी छोड़कर प्रताड़ित का साथ देगी। खुद किसी को तंग परेशान नहीं करेगी। अपराधियों से अपनी मित्रता तोड़ देगी। सज्जन लोगों का साथ करेगी। थानों में सुनवाई होगी। ऊपर की कमाई नहीं होगी। फरियादी को भटकना नहीं पड़ेगा। नेता जनता के प्रति जवाबदेह होंगे। चुनाव में भले आदमी खड़े होंगे। कई भले लोगों में से सबसे भले को चुनना होगा। नगर पालिका से लेकर संसद तक में जनता के लिए काम होगा। हल्ला-गुल्ला,लड़ाई झगडा,मार-पीट, गाली-गलौच बिलकुल बंद। संवेदनशील अफसर फिल्ड में लगेंगे। काम के लिए सिफारिश की जरुरत ख़तम। सरकारी अस्पतालों में इलाज होगा। सभी उपकरण एकदम ठीक काम करके सही रिपोर्ट देंगे। दवाई सस्ती होगी। जेलों में सालों से बंद पड़े बंदियों की सुनवाई होगी। रसोई का सामान सस्ता होगा । भिखारी नहीं रहेंगी। सबको योग्यता के हिसाब से काम मिलेगा। कोई भूखा नहीं सोयेगा। सब के तन पर कपडे होंगे। बेघर के घर अपने होंगे। काला धन सब देश में आ जायेगा। वह देश,जनता की उन्नति के लिए खर्च होगा। हमारा प्रधानमंत्री मजबूर नहीं होगा। अफजल,कसाब को फंसी होगी। जम्मू-कश्मीर सच में हमारा होगा। जैसे बाकी राज्य। टैलेंट की कद्र होगी। आरक्षण नहीं रहेगा। न्यूज चैनलों पर खबर दिखाई जाएगी। कलयुग सतयुग में बदल जायेगा। दूध दही की नदियाँ बहने लगेगी।देश की सभी समस्याओं का अंत तुरंत हो जायेगा। अमेरिका की हुकूमत हिन्दूस्तान पर नहीं चलेगी। दुनिया हमारे इशारे पर चलेगी। क्योंकि हम विश्व विजेता हैं क्रिकेट के। क्या बकवास करते हो? ऐसा कुछ नहीं होने वाला! क्यों? किसने कहा? ना जाने किस किस बात से दुखी, हैरान,परेशान करोड़ों लोग रात भर से ख़ुशी में सराबोर होकर बेवजह थोड़ी नाच रहे हैं। माता पिता के जन्म दिन पर उनको बधाई दी हो या नहीं मगर अब जाने अनजाने सबको मुबारक बाद दे रहे हैं। जब सब खुश हैं। सभी में उमंग है। बधाई दे ले रहे हैं। मिठाइयाँ बाँट रही है। पटाखे चल रहे हैं। सभी छोटे बड़ों के चेहरों पर मुस्कान है। और तुम कह रहो हो कि वर्ल्ड कप जीतने के बावजूद जनता की किसी भी परेशानी, दुःख,तकलीफ पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। वे सब की सब हमारी नियति है। हमारी तक़दीर है। इनको तो भोगना ही है। हम तो वर्ल्ड कप के बहाने कुछ क्षण के लिए इनको भूलना चाहते हैं इसलिए ख़ुशी दिखाकर अन्दर के दर्द छिपा रहे हैं। सच्चाई सबको पता है। दिनेश सिंदल कहते हैं--फटी जेब से गिर गया दिन,पल पल ना अंगुली पर गिन,ऐसी आपाधापी में ,दिन बीतेंगे कितने दिन।

Saturday, April 2, 2011

कुछ भी नहीं याद

---- चुटकी---- भूल गए घोटाले भुला दिए नेताओं के सब अपराध, क्रिकेट के अलावा अब तो कुछ भी नहीं याद।

Friday, April 1, 2011

अमन के गीत

हार हो या जीत रहेंगे हम मीत, मैं तेरी दुआ करूँ तुम मेरी, मिलकर गाएं अमन के गीत।