Friday, April 15, 2011

सफर रोज का,जाना कहीं नहीं

के कंडक्टर जैसी
हो गई है जिंदगी,
सफ़र भी रोज का
और
जाना भी कहीं नहीं

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तीस साल पुराने मित्र राजेश अरोड़ा का एक एस एम एस।

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