Wednesday, June 12, 2013

राधेश्याम हो या कोई और पार्टी को चाहिए जिताऊ बंदा

 श्रीगंगानगर-कुछ लोग विवादों के साथ ही आगे बढ़ते हैं। बढ़ते भी ऐसे हैं कि विरोधियों का या तो सफाया हो जाता है या उनका विरोध किसी काम का नहीं रहता। ऐसे लोगों में एक नाम है राधेश्याम गंगानगर। श्रीगंगानगर से बीजेपी के विधायक राधेश्याम गंगानगर। जब तक राधेश्याम गंगानगर कांग्रेस में रहे कांग्रेस नेता उन पर कांग्रेस को जेबी संस्था बनाने का आरोप लगाते रहे। राधेश्याम बीजेपी में आए तो बीजेपी वाले भी यही कहते हैं कि राधेश्याम गंगानगर ने बीजेपी को घर की पार्टी बना रखा है। खुल कर कांग्रेस नेता भी नहीं कहते थे....सामने ये बीजेपी वाले भी नहीं कहते। इन्होने बीजेपी से उस समय बगावत की जब बीजेपी को इनकी जरूरत थी। अब ये बीजेपी में नहीं है तब इनको बीजेपी की चिंता है। जब बीजेपी में थे तब तो बीजेपी की बजाए खुद को राजनीति में बनाए रखने की चिंता थी। अब जब वे राजनीतिक रूप से भूले बिसरे हो चुके तब इनको बीजेपी की चिंता सताने लगी। कौन नहीं जानता महेश पेड़ीवाल ने बीजेपी की टिकट पर 1998 में विधानसभा का चुनाव लड़ा। उनकी पत्नी बीजेपी के राज में नगर विकास न्यास की चेयरमें मनोनीत हुई। संजय मूंदडा की भी बीजेपी में काफी इज्जत थी। नरेश मुन्ना भी पार्टी में हैसियत रखते थे। तीनों ने 2009 में पार्टी उम्मीदवार मनमोहन शर्मा के सामने नगर परिषद सभापति का चुनाव लड़ा। बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष हनुमान गोयल की पत्नी संतोष गोयल पर पार्षद के नाते अविश्वास प्रस्ताव पर बीजेपी के खिलाफ वोटिंग करने के आरोप सभी को मालूम है। अब ये कुछ दूसरे भाजपाइयों के साथ बीजेपी के मूल तत्व को बचाने की चिंता करते हैं। सामने तो आते नहीं पर्दे के पीछे बैठक कर बीजेपी नेता राधेश्याम गंगानगर के खिलाफ काम करने की रणनीति बनाते हैं। बीजेपी में राधेश्याम गंगानगर का विकल्प बनने की बजाए इस बात की कोशिश कर रहे हैं कि टिकट राधेश्याम गंगानगर को ना मिले। इनमें से किसी में इतनी राजनीतिक ताकत नहीं जो बीजेपी की टिकट पर चुनाव जीत सकें। खुद का कोई राजनीतिक वजूद ना होने के बावजूद ये पार्टी में  राधेश्याम गंगानगर के वजूद को हजम नहीं कर पा रहे। ये जानते हैं कि  विधानसभा चुनाव में बीजेपी की कांग्रेस से कड़ी टक्कर होनी है। दोनों पार्टियों में चुनाव जीत सकने लायक बंदों को ही टिकट देना मजबूरी होगी। ऐसे में बीजेपी से बगावत करने वालों की चिंता का क्या होगा कहना मुश्किल है। अगर इनमें से कोई चुनाव जीतने वाला होता तो बीजेपी उसी को टिकट देती। राधेश्याम गंगानगर कौनसा पार्टी का रिश्तेदार है। पार्टी को तो जीतने वाले चाहिए,वो चाहे राधेश्याम हो या कोई और।


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