Sunday, April 16, 2017

विचार बदलते ही संस्कार बदल जाते हैं

श्रीगंगानगर। तीन पुली के पास स्थित श्रीधर्म संघ संस्कृत महाविद्यालय गौशाला का वार्षिक उत्सव आज समारोह पूर्वक हुआ। समारोह मेँ व्यास पीठ से भक्तमाल की कथा सुनाई गई। भजन और कीर्तन हुआ। वक्ताओं ने कहा कि रामायण के महत्व का बखान करते हुए कहा कि इसके बिना तो बैकुंठ भी अधुरा है। इसमें कहां कितनी गहराई है कोई नहीं जान सका। जो जितना गहरा उतरता है उतना ही अधिक पाता है। एक वक्ता ने वेद शास्त्रों और अर्थ की बात कही। उनका कहना था कि जिनके पास अर्थ है। अर्थ का अधिकार है, उनका गौरव और सम्मान वेद की रक्षा के लिए अपना समर्पण करें। वेद शास्त्रों के कारण ही तो धर्म जीवित और ज्वलंत हैं। भारत है। हिन्दू हैं। मुख्य वक्ता ने कहा कि जिस दिन 16 संस्कार समाप्त हो जाएंगे उस दिन हिन्दू नहीं रहेगा। सनातन धर्म नहीं रहेगा। उन्होने यह बार धर्म परिवर्तन, वर्ण परिवर्तन के संदर्भ मेँ काही। वे बोले, धर्म और वर्ण परिवर्तन से कुछ नहीं होने वाला, सदियों से हो रहा है। संस्कार सनातन धर्म का आधार हैं। जब तक ये हैं तब तक सनातन धर्म और हिन्दू समाप्त नहीं हो सकते। एक वक्ता ने कहा कि विचार बदलते ही संस्कार और संसार बदल जाते हैं। कुम्हार जिस मिट्टी से चिलम बनाता है अगर उसी मिट्टी से चिलम के स्थान पर घड़ा बनाए तो मिट्टी का संसार बदल जाता है। उसके संस्कार बदल जाते हैं। कई घंटे के इस आयोजन मेँ स्वामी ब्रह्मदेव जी, संगरिया के दयानन्द शास्त्री, तनसुख राम शर्मा, विधायक कामिनी जिंदल, राजकुमार गौड़ सहित शहर के अनेक नागरिक मौजूद थे। संस्था के संचालक स्वामी कल्याण स्वरूप सहित विभिन्न स्थानों से आए अनेक संत मौजूद थे। ओजस्वी ढंग से मंच संचालन स्वामी स्वदेशाचार्य ने किया। कुछ मिनट के लिए पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी भी कार्यक्रम मेँ पहुंचे।